मिथिला राज्य ही एक मात्र विकल्प । मिथिला में केंद्र सरकार के सभी योजनाओं को यहाँ के सांसद के अकर्मण्यता के कारण लटकी - अटकी हैं। यह उनके कार्य करने की मिथिला विरोधी एवं अविकसित मानिसकता को दर्शाता हैं। यह मिथिला को पलायन बेरोजगारी कुव्यवस्था में धकेलने हेतु जयचंद की भूमिका निभा रही है। दरभंगा एम्स जैसे लोक-कल्याणकारी योजाना इन्ही के कारण धरातल पर क्रियान्वयन से कोसों दूर है। मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए , मिथिला सूखा और बाढ़ का निरंतर शिकार होता आ रहा है । जहां एक और खेती चौपट हो गई है, वहीं मिथिला के मजदूर पलायन करने को विवश हो रहे हैं। चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल व अन्य उद्योग - धंधे आदि यहां कबाड़ का ढेर मात्र बने हुए हैं। कृषि , उद्योग-धंधा , पर्यटन , शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है। संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित विश्व की सबसे मधुर एकमात्र भाषा मैथिली को राज-काज की भाषा , प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्यता । भौगौलिक , आर्थिक , ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मिथिला के पास एक राज्य की सारी योग्यताएं हैं ।
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