मनमोहन जोशी को महिला अधिकारों पर किए गए उनके शोध कार्य के लिए पीएचडी


विधि जगत में एमजे सर के नाम से बेहद लोकप्रिय मनमोहन जोशी को मध्य प्रदेश की नंबर 1 यूनिवर्सिटी जो कि एक मात्र NAAC A+ रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटी है, से पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है.



आपने  विगत चार वर्षों में विभिन्न वर्ग की महिलाओं के बीच जाकर इस शोध कार्य को अंजाम दिया शोध का विषय 2005 में लागू महिलाओं के घरेलू हिंसा संरक्षण क़ानून के प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित था. डॉ जयप्रकाश व्यास जी के दिशा निर्देशन में इस शोध कार्य को पूरा किया गया.


ध्यातव्य हो कि विधिक जागरूकता के क्षेत्र में  किए गए महनीय कार्यों के लिए 2022 में अमेरिकन पीस यूनिवर्सिटी ने श्री जोशी को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था.


एमजे सर, विभिन्न क़ानूनी पुस्तकों के लेखक हैं आप विद्यार्थियों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं और यूट्यूब के माध्यम से तथा स्कूल और कॉलेजों में जाकर विधिक जागरूकता और विधिक साक्षरता कार्यक्रम चलाते रहते हैं.


टेलीफ़ोनिक संवाद में उन्होंने हमारे संवाददाता को बताया कि लॉ के क्षेत्र में शोध की बेहद कमी है और इसका कारण ये है कि शोध कार्य बहुत ज़्यादा श्रम और समय की माँग करते हैं. सरकार को इस क्षेत्र में ध्यान देना चाहिए और अधिक से अधिक लोगों को विधि क्षेत्र में शोध कार्य  के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.


अपने शोध कार्य के दौरान उन्होंने पाया कि महिलाओं के लिए यूँ तो कई क़ानून बने हैं लेकिन महिलाओं के बीच उनके संबंध में जागरूकता का अभाव है. जागरूकता के अभाव में क़ानूनों का ठीक क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा और जागरूकता न होने के कारण क़ानूनों का दुरुपयोग भी अधिक हो रहा है.


सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता करण मल्होत्रा ने कहा कि एमजे सर जैसे लोग विधि जगत के लिये अमूल्य धरोहर हैं भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विधिक जागरूकता कार्यक्रमों को इस शोध से लाभ मिलेगा

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