संस्कृत सम्भाषण शिविर के उद्घाटन समारोह में भारत के विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक लोग जुड़े रहें

प्रणम्य शिरसा कालमभिवाद्य सरस्वतीम्। कालज्ञानं प्रवक्ष्यामि लगधस्य महात्मनः।। वेदविहितकर्मानुष्ठानानां समुचितकालज्ञानाय ज्योतिषशास्त्रस्य उपयोगः। ऐसे  ही उद्घोष और संकल्प के साथ सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना की ओर से आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अन्तर्गत महागणितज्ञ ज्योतिर्वैज्ञानिक आर्यभट्ट स्मृति अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का उद्घाटन समारोह संपन्न हुआ।  


 महागणितज्ञ ज्योतिर्वैज्ञानिक आर्यभट्ट रचित आर्यभट्टीयम् ग्रंथादि द्वारा गणितविद्या, ज्योतिषविद्या, खगोलविज्ञान संबंधित विविध बिन्दुओं पर चैत्र मास के नवरात्रि में विचार विमर्श होना अति सौभाग्य का विषय है। ये सभी बातें कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डा मुकेश कुमार ओझा ने कही। आज भी इन ज्योतिषग्रंथों में कई गूढ़ रहस्य विद्यमान है जो विश्व कल्याण हेतु सार्थक हो सकता है।



संभाषण शिविर का उद्घाटन करते हुए संस्कृतज्ञ डा अनिल कुमार सिंह, विशेष सचिव गृह विभाग उत्तर प्रदेश शासन एवं अभियान के प्रधान संरक्षक  ने महागणितज्ञ ज्योतिर्वैज्ञानिक आर्यभट्ट के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि किसी भी शुभकार्य यज्ञानुष्ठान आदि के लिए शुभमुहूर्त की आवश्यकता होता है जो ज्योतिषशास्त्र के ज्ञान से ही सम्भव है तथा ज्योतिषशास्त्र के विषय में कहा कि सिद्धान्तसंहिताहोरारूपं स्कन्धत्रयात्मकम्। वेदस्य निर्मलं चक्षुज्योति:शास्त्रमनुत्तमम्।। इसके साथ ही संस्कृत भाषा के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला।



मुख्य अतिथि डॉ मिथिलेश झा व धमेंद्र पति त्रिपाठी, मुख्य वक्ता शैलेंद्र सिन्हा, उग्र नारायण झा, समर बहादुर सिंह आदि के उद्बोधन तथा वरिष्ठ संस्कृत गीतकार विशिष्ट अतिथि डॉ अनिल कुमार चौबे के गीतों से वातावरण संगीतमय हो गया। उन्होनें सभी सदस्यों को प्रतिदिन आने के लिए प्रेरित किया।


शिविर के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय संस्कृत शोधार्थी पिन्टू कुमार ने संस्कृत में कुशल एवं सरस संचालन कर देश भर के संस्कृतज्ञों को जोड़े रखा। उन्होंने व्यावहारिक जीवन में ज्योतिष विद्या के महत्त्व पर प्रकाश डाला।


स्वागत भाषण डॉ रागिनी वर्मा, वैदिक मंगलाचरण उग्र नारायण झा, धन्यवाद ज्ञापन डा लीना चौहान तथा ऐक्य मंत्र तनुजा कुमारी ने किया।


इस संस्कृत सम्भाषण शिविर के उद्घाटन समारोह में भारत के विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक लोग जुड़े रहें

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